कान्त्या कांचनसन्निभाम हिमगिरिप्रख्यैश्चतुर्भिर्गजैर्हस्तोत्क्षिप्तहिरण्यामृतघटैरासिच्यमानां श्रियम्।
बिभ्राणां वरमब्जयुग्ममभयं हस्तैः किरीटोज्वलां क्षौमाबद्धनितम्बबिम्बललितां वन्देऽरविन्दस्थितां।।
एकाक्षरबीजमन्त्रः- श्रीं
विनियोगः- ॐ अस्य श्री लक्ष्म्या एकाक्षरबीजमन्त्रस्य भृगुऋषिः, निवृच्छन्दः, श्रीलक्ष्मीर्देवता मम धनाप्तये जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः-
भृगुऋष्यै नमः शिरसि।
निवृच्छन्दसे नमः मुखे।
श्रीलक्ष्मीदेवतायै नमः हृदि।
विनियोगाय नमः सर्वांगे।
करन्यासः-
ॐ श्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ श्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ श्रूं शिखायै वषट्।
ॐ श्रैं अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ श्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ श्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
हृदयादिन्यासः-
ॐ श्रां हृदयाय नमः।
ॐ श्रीं शिरसे स्वाहा।
ॐ श्रूं शिखायै वषट्।
ॐ श्रैं कवचाय हुम्।
ॐ श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ श्रः अस्त्राय फट्।
ध्यानम्
ॐ कान्त्याकांचनसन्निभां हिमगिरिप्रख्यैश्चतुर्भिर्गजैर्हस्तोत्क्षिप्तहिरण्मयामृतघटैरासिच्यमानाश्रियम्।
बिभ्राणां वरमब्जयुग्मीायं हस्तैः किरीटोज्जवलां क्षौमाबद्धनितम्बबिम्बलसितां वन्देऽविन्दस्थिताम्।।
ब्लाॅग पर दिए गए तंत्र-मंत्रादि विद्याऐं गरुओं, अघोरियों, संतो व महात्मों से प्राप्त, स्वयं द्वारा किए गये साधना परिश्रम व अनुभव व विभिन्न प्रकार के तंत्र-मंत्र वेदादि ग्रन्थों से लिए गए हैं जिनमें (मन्त्रमहौदधि, रूद्रयामल, अथर्ववेद, महार्णवादि) हैं।
तंत्र-मंत्रो का प्रयोग किसी विशेष गुरू, विद्याओं में पारंगत, तंत्र-मंत्रादि की विशेष जानकारी रखने वालों से प्राप्त कर प्रयोगादि करें अन्यथा हानि संभव है।
शांति प्रयोग, धन प्राप्ति प्रयोगादि स्वयं अभ्यास कर व जानकारी जुटाकर की जा सकती है लेकिन षट्कर्म, तीव्र-प्रयोग, अभिचार तंत्र-मंत्र-यंत्र, प्रेतादि प्रयोग किसी अच्छे जानकार व पहुँचे हुए गुरूओं के सान्निध्य में ही करें। बिना पूर्ण जानकारी व अभ्यास के मैदान में न उतरें अन्यथा उससे प्राप्त क्षति के स्वयं अधिकारी होंगे।
जानकार व्यक्ति/साधक दिये गये तंत्र-मंत्र के प्रयोग कर लाभ उठायें।
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