NEW POST

|| श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् ||

भगवान श्री विष्णु के एक हजार नामों की महिमा अवर्णनीय है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम के प्रतिरूप में विद्यमान है। विष्णुसहस्रना...

॥ माँ धूमावती साधना ॥



माँ धूमावती दस महाविद्याओं में सातवीं महाविद्या हैं | माँ धूमावती को विधवा, दरिद्रा, असाध्या रोग, भयंकर कष्ट , भय, कर्ज और आपदाओं का कारण माना गया है |  इनका नक्षत्र जयेष्ठा है, इस नक्षत्र में पैदा होने वाले जातक आजीवन दुःख और संघर्ष का सामना करते रहते हैं | धूमावती को अलक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है | माँ धूमावती का रूप इतना भयानक और डरावना है की एकांत में करने पर कमजोर दिल वाला डर सकता है | 

काग है माँ धूमावती का वाहन 
धूमावती का वाहन कौआ है | रथ सवार माँ का वाहन कौआ खींच रहा है | माँ की मूर्ति श्याम वर्ण और अत्यंत डरावने रूप में हैं | 

माँ धूमावती की कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माँ  पार्वती को बहुत तेज भूख लगती है | उस समय कैलाश पर्वत पर शिव ध्यान लीन थे | माँ के आग्रह करने पर भी शिव ध्यान से नहीं उठे यह देख माँ पार्वती को क्रोध आ गया और शिव को ही निगल गई | भगवन शिव को निगलने  बाद शरीर से धुआँ निकलने लगा | जब माँ पार्वती की भूख शांत हुई तोह भगवन शिव अपनी माया से माँ पार्वती के शरीर से बाहर आ गए और माँ पार्वती से बोले - हे पार्वती ! धूम्र से व्याप्त होने के कारण आपके इस रूप को पूजा जायेगा और इस स्वरुप का नाम धूमावती होगा | 

माँ धूमावती का भोग 
माँ धूमावती को तामसी भोग बहुत पसंद है इसलिए उनको नमकीन पकवान, समोसे, कचौड़ी और मंगौड़े आदि का भोग शनिवार को दिया जाता है | 

हिन्दू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्ट्मी को माँ धूमावती की जयंती मनाई जाती है | इस दिन माँ धूमावती के स्तोत्र का पाठ और अनुष्ठान होते हैं | इस दिन काले वस्त्र में काले तिल बांधकर माँ को भेंट करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं | माँ धूमावती के दर्शन मात्रा से परिवार पुत्र की रक्षा होती है | 

माँ धूमावती का रूप अत्यंत उग्र होता है लेकिन माँ अपने साधक / पुत्र के लिए सौम्य भाव रखतीं  हैं और संतान के लिए कल्याणकारी सिद्ध होती हैं | ऋषि काल में ऋषि दुर्वासा, भृगु एवं परशुराम आदि की मूल शक्ति माँ धूमावती थीं | माँ की कृपा से सभी पापों का नाश होता है और सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं |  

माँ धूमावती की साधना का लाभ 
माँ धूमावती का कोई स्वामी नहीं है | इनकी साधना से जीवन में निडरता और निश्चितता आती है | इनकी साधना से आत्मबल का विकास होता है | देवी धूमावती सूकरी रूप में प्रत्यक्ष होती हैं और साधक के सभी रोग, कष्ट, दुःख और शत्रुओं का नाश करती है | वह साधक महाप्रतापी और सिद्ध पुरुष के रूप में ख्याति प्राप्त करता है | माँ धूमावती महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं | ऋग्वेद में रात्रिसूक्तम में इन्हे 'सूतरा' कहा गया है अर्थात ये सुखपूर्वक तारने योग्य हैं | इन्हे अभाव और संकट को दूर करने वाली कहा गया है | माँ धूमावती की सिद्धि के लिए तिल मिश्रित नमक और घी से होम किया जाता है | माँ धूमावती के साधक को सात्विक और नियम-संयम सत्यनिष्ठा को पालन करने वाला, लोभ-लालच से दूर, शराब -माँस को छुए भी ना |  

आप सभी को मेरा सादर-प्रणाम 

धन में रुकावट, स्वस्थ्य समस्या, शत्रु द्वारा लगातार परेशान करना, नवग्रह दोष, कालसर्प, अज्ञात भय, शत्रु द्वारा किया या करवाया गया तंत्र का समाधान | नवग्रह | महामृत्युंजय | बगलामुखी | धूमावती | प्रत्यंगिरा | हरिद्रा गणपति | त्रिलोक्य मोहन गणपति | श्री सूक्तम | बटुक भैरव | स्वर्ण आकर्षण भैरव | हनुमद उपासना आदि | 


  


ब्लाॅग पर दिए गए तंत्र-मंत्रादि विद्याऐं गरुओं, अघोरियों, संतो व महात्मों से प्राप्त, स्वयं द्वारा किए गये साधना परिश्रम व अनुभव व विभिन्न प्रकार के तंत्र-मंत्र वेदादि ग्रन्थों से लिए गए हैं जिनमें (मन्त्रमहौदधि, रूद्रयामल, अथर्ववेद, महार्णवादि) हैं।
तंत्र-मंत्रो का प्रयोग किसी विशेष गुरू, विद्याओं में पारंगत, तंत्र-मंत्रादि की विशेष जानकारी रखने वालों से प्राप्त कर प्रयोगादि करें अन्यथा हानि संभव है।
शांति प्रयोग, धन प्राप्ति प्रयोगादि स्वयं अभ्यास कर व जानकारी जुटाकर की जा सकती है लेकिन षट्कर्म, तीव्र-प्रयोग, अभिचार तंत्र-मंत्र-यंत्र, प्रेतादि प्रयोग किसी अच्छे जानकार व पहुँचे हुए गुरूओं के सान्निध्य में ही करें। बिना पूर्ण जानकारी व अभ्यास के मैदान में न उतरें अन्यथा उससे प्राप्त क्षति के स्वयं अधिकारी होंगे।
जानकार व्यक्ति/साधक दिये गये तंत्र-मंत्र के प्रयोग कर लाभ उठायें।

Popular Posts