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|| श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् ||

भगवान श्री विष्णु के एक हजार नामों की महिमा अवर्णनीय है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम के प्रतिरूप में विद्यमान है। विष्णुसहस्रना...

Tuesday, 10 October 2017

|| अथ बृहस्पति मंत्र जाप ||

विनियोगः-ओं अस्य श्री बृहस्पतिमंत्रस्य ब्रहमा ऋषिः, अनुष्टुपछन्दः, बृहस्पर्तिदेवता, बृं बीजम्, नमः शक्तिः, श्री बृहस्पति देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः-
ओं ब्रहमा ऋषये नमः शिरसि।
ओं अनुष्टुपछन्दसे नमः मुखे।
ओं बृहस्पति देवताये नमः हृदये।
ओं बृं बीजाय नमः गुहये।
ओं नमः शक्तये नमः पादयो।
करान्यास-
ओं ब्रां अंगुष्ठाभ्याम् नमः।
ओं ब्रीं तर्जनीभ्याम् नमः।
ओं ब्रूं मध्यमाभ्याम् नमः।
ओं बै्रं अनामिकाभ्याम् नमः।
ओं ब्रौं कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
ओं ब्रः करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
हृदयादिन्यासः-
ओं ब्रां हृदयाय नमः।
ओं ब्रीं शिरसे स्वाहा।
ओं ब्रूं  शिखायै वषट्।
ओं बै्रं कवचाय हुम्।
ओं ब्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ओं ब्रः अस्त्राय फट्।
ध्यान्ः-
तेजोमयं शक्ति त्रिशूलहस्तं सुरेन्द्रसंधस्तुतपादपंकजम्।
मेधानिधिं मतस्यगतं द्विबाहुं गुरू भजे मानसपंकजेअहं।।
फिर मानसोपचार करें।
मंत्रः-ओं बृं बहस्पतये नमः।


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