विनियोगः-ओं अस्य श्री भोम मंत्रस्य ब्रहमा ऋषिः, गायत्रीश् छन्दः, अंगारक देवता, अं बीजम्, आपः शक्तिः, श्री अंगारक देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः-
ओं ब्रहमा ऋषये नमः शिरसि।
ओं गायत्रीश्छन्दसे नमः मुखे।
ओं अंगारक देवताये नमः हृदये।
ओं अं बीजाय नमः गुहये।
ओं आपः शक्तये नमः पादयो।
करान्यास-
ओं आं अंगुष्ठाभ्याम् नमः।
ओं ईं तर्जनीभ्याम् नमः।
ओं ऊं मध्यमाभ्याम् नमः।
ओं ऐं अनामिकाभ्याम् नमः।
ओं औं कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
ओं अः करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
हृदयादिन्यासः-
ओं आं हृदयाय नमः।
ओं ईं शिरसे स्वाहा।
ओं ऊं शिखायै वषट्।
ओं ऐं कवचाय हुम्।
ओं औं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ओं अः अस्त्राय फट्।
ध्यान्ः-
ओं नमाम्यंगारकं देवं रक्ताभम्बरभूषणम्।
जानुस्थवामहस्ताढ्यं साययेतरपाणिकम्।।
फिर मानसोपचार करें।
मंत्रः-ओं अं अंगारकाय नमः।
ऋष्यादिन्यासः-
ओं ब्रहमा ऋषये नमः शिरसि।
ओं गायत्रीश्छन्दसे नमः मुखे।
ओं अंगारक देवताये नमः हृदये।
ओं अं बीजाय नमः गुहये।
ओं आपः शक्तये नमः पादयो।
करान्यास-
ओं आं अंगुष्ठाभ्याम् नमः।
ओं ईं तर्जनीभ्याम् नमः।
ओं ऊं मध्यमाभ्याम् नमः।
ओं ऐं अनामिकाभ्याम् नमः।
ओं औं कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
ओं अः करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
हृदयादिन्यासः-
ओं आं हृदयाय नमः।
ओं ईं शिरसे स्वाहा।
ओं ऊं शिखायै वषट्।
ओं ऐं कवचाय हुम्।
ओं औं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ओं अः अस्त्राय फट्।
ध्यान्ः-
ओं नमाम्यंगारकं देवं रक्ताभम्बरभूषणम्।
जानुस्थवामहस्ताढ्यं साययेतरपाणिकम्।।
फिर मानसोपचार करें।
मंत्रः-ओं अं अंगारकाय नमः।