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|| श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् ||

भगवान श्री विष्णु के एक हजार नामों की महिमा अवर्णनीय है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम के प्रतिरूप में विद्यमान है। विष्णुसहस्रना...

Monday, 9 October 2017

॥ ब्रहमास्त्रस्तम्भिनी काली ॥

यदि परप्रयोग भारी है तो यह कालरात्रिकाली का मंत्र शीघ्र कार्य करता है कृत्या व शत्रु शक्ति को सम्मोहित कर निष्प्राण कर शिथिल कर देता है। इस कालरात्रिकाली मन्त्रप्रयोग को करने से बगलामुखि या अन्य देवताओं का स्तम्भन-मारणादि प्रयोग शांत व नष्ट हो जाता है।
विनियोगः-ओं अस्य ब्रहमास्त्रस्तम्भिनी काली विद्या मंत्रस्य श्री ब्रहम ऋषिः, गायत्रीश् छन्दः, स्तम्भनास्त्र विभेदिनी श्री कालिका देवता, स्तम्भनास्त्र विभेदिनी श्री कालिका देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
करान्यासः-
ओं क्रां अंगुष्ठाभ्याम् नमः।
ओं क्रीं तर्जनीभ्याम् नमः।
ओं क्रूं मध्यमाभ्याम् नमः।
ओं क्रैं अनामिकाभ्याम् नमः।
ओं क्रौं कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
ओं क्रः करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
हृदयादिन्यासः-
ओं क्रां हृदयाय नमः।
ओं क्रीं शिरसे स्वाहा।
ओं क्रूं शिखायै वषट्।
ओं क्रैं कवचाय हुम्।
ओं क्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ओं क्रः अस्त्राय फट्।
ध्यानः-
कालीं करालवदनां कलाधरधराम् शिवाम्।
स्तम्भनास्त्रैकसंहारीं ज्ञानमुद्रा समन्विताम्।।
वीणापुस्तकसंयुक्तां कालरात्रीं नमाम्यहम्।
बगलास्त्रोपसंहारी देवतां विश्वतोमुखीम्।।
भजे अहं कालिकां देवीं जगद्ववंशकरीं शिवाम्।।

मन्त्रः- ओं हल्रीं क्लीं ब्लूं म्लूं सौं ग्लौं-ग्लौं हूं ऐं ह्रीं महामाये श्रीं काली-काली महाकाली एहि एहि कालरात्रि स्फुर-स्फुर प्रस्फुर-प्रस्फुर स्तम्भनास्त्र शमनि हुं फट् स्वाहा।
नवरात्र में सप्तमी को कालरात्री की पूजा कर गुड़ का भोग लगा कर एक लक्ष जप करें अथवा किसी कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी को अनुष्ठान प्रारम्भ करें। होम में पलाश के फूलों से आहूति दें, कपूर मिश्रित जल से तर्पण कर दशांश मार्जन करें व ब्राहमण भोजन अवश्य करायें।

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