विनियोगः-ओं अस्य श्री शनि मंत्रस्य ब्रहमा ऋषिः, गायत्रीश्छन्दः, श्नैश्चरो देवता, शं बीजम्, आपः शक्तिः, श्री शनि देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः-
ओं ब्रहमा ऋषये नमः शिरसि।
ओं गायत्रीश्छन्दसे नमः मुखे।
ओं श्नैश्चरदेवताये नमः हृदये।
ओं शं बीजाय नमः गुहये।
ओं आपः शक्तये नमः पादयो।
करान्यास-
ओं शं अंगुष्ठाभ्याम् नमः।
ओं शं तर्जनीभ्याम् नमः।
ओं शं मध्यमाभ्याम् नमः।
ओं शं अनामिकाभ्याम् नमः।
ओं शं कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
ओं शं करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
हृदयादिन्यासः-
ओं शं हृदयाय नमः।
ओं शं शिरसे स्वाहा।
ओं शं शिखायै वषट्।
ओं शं कवचाय हुम्।
ओं शं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ओं शं अस्त्राय फट्।
ध्यान्ः-
ओं नीलांजनाभंसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तण्ड समभूतं तं नमामि श्नैश्चरम्।।
फिर मानसोपचार करें।
मंत्रः-ओं शं श्नैश्चराय नमः।
ऋष्यादिन्यासः-
ओं ब्रहमा ऋषये नमः शिरसि।
ओं गायत्रीश्छन्दसे नमः मुखे।
ओं श्नैश्चरदेवताये नमः हृदये।
ओं शं बीजाय नमः गुहये।
ओं आपः शक्तये नमः पादयो।
करान्यास-
ओं शं अंगुष्ठाभ्याम् नमः।
ओं शं तर्जनीभ्याम् नमः।
ओं शं मध्यमाभ्याम् नमः।
ओं शं अनामिकाभ्याम् नमः।
ओं शं कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
ओं शं करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
हृदयादिन्यासः-
ओं शं हृदयाय नमः।
ओं शं शिरसे स्वाहा।
ओं शं शिखायै वषट्।
ओं शं कवचाय हुम्।
ओं शं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ओं शं अस्त्राय फट्।
ध्यान्ः-
ओं नीलांजनाभंसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तण्ड समभूतं तं नमामि श्नैश्चरम्।।
फिर मानसोपचार करें।
मंत्रः-ओं शं श्नैश्चराय नमः।