|| व्याधि देवता ||
(शुभड़ाशुभ कार्ये प्रयोग विधि)
(शुभड़ाशुभ कार्ये प्रयोग विधि)
विनियोग- अस्य श्रीव्याधि मंत्रसय वीरभद्र ऋषि अनुष्टुप छन्द:, शिवो देवता, व्या बीजं, हुं शक्ति श्रीव्याधि देवता प्रसन्नार्थे द्वारा अमुकजनस्य जरापीड़ा व्याधि द्वारा मुच्यते आर्य आरोग्यादि प्राप्ति हेतवे जपे विनियोगः |
अथवा
अथवा
(सर्व शत्रुक्षयार्थ जो विनियोगः )
शुभ प्रयोग में रोग निवृत्ति हेतु प्रयोग में यह ध्यान करना चाहिए की व्याधि देवता अपने अंग परिवार हेतु परिवार सहित रोगी के देह व् स्थान को छोड़कर देशान्तर को गमन कर रहे है | (कभी पास आने का ध्यान रखना चाहिए ) एवं रोगी को आरोग्य लाभ हो रहा है|
दुर्गा सप्तशती में भी तो रहस्य खण्ड में आया है "कालमृत्यो च संपूज्यौ सर्वारिष्ट शांतये"|
"शत्रुनाश"हेतु प्रयोग में यह भावना करनी की मेरा शत्रु व्याधि द्वारा प्रताड़ित होकर कष्ट पा रहा है |
'न्यासः -वयां,व्यीं,वयूं,व्यै, व्यो,व्यः पृथक -पृथक अंगन्यास करे |
ध्यानम-
त्रिपादं त्रिभुज भीमं त्रिमुद्धारण त्रिलोचनं
कपालाढ़य ज़्वालस्य वक्त्र दष्टकंम || १ ||
सप्तश्रृग वसामाली चर्मामबर धरिणम || २ ||
अशेषागे व्रणोदभूद कृमिजाले समाकुलम
वक्त्रनाश वृहतसकंधं श्रु ध्या पीडितोदरं || ३ ||
वैरिणा देहमालिगय भक्षयन्त विकर्णकम
कपालाढ़य ज़्वालस्य वक्त्र दष्टकंम || १ ||
सप्तश्रृग वसामाली चर्मामबर धरिणम || २ ||
अशेषागे व्रणोदभूद कृमिजाले समाकुलम
वक्त्रनाश वृहतसकंधं श्रु ध्या पीडितोदरं || ३ ||
वैरिणा देहमालिगय भक्षयन्त विकर्णकम
कलाय कुसुमनिलं महाव्याधिकर शिवम || ४ ||
व्याधि नाश हेतु मंत्र - ॐ भगवते रुद्राय महाव्याधिकराय अमुक पीड़य हुं फट स्वाहा |
व्याधि नाश हेतु मंत्र - ॐ भगवते रुद्राय महाव्याधिकराय अमुक पीड़य हुं फट स्वाहा |
आप सभी को मेरा सादर-प्रणाम
धन में रुकावट, स्वस्थ्य समस्या, शत्रु द्वारा लगातार परेशान करना, नवग्रह दोष, कालसर्प, अज्ञात भय, शत्रु द्वारा किया या करवाया गया तंत्र का समाधान | नवग्रह | महामृत्युंजय | बगलामुखी | धूमावती | प्रत्यंगिरा | हरिद्रा गणपति | त्रिलोक्य मोहन गणपति | श्री सूक्तम | बटुक भैरव | स्वर्ण आकर्षण भैरव | हनुमद उपासना आदि |
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