|| मृत्यु देवता ||
शुभाशुभ प्रयोग
इसका शांतिमय प्रयोग करने से अकाल मृत्यु तथा मारकेश योग दूर होवे व्यक्ति मृत्युपाश से छूटे शत्रु के लिये प्रयोग करे तो उसे व्याधि एवं मृत्यु पास होवे |
मारकेश काल प्रतीत होने पर प्रयोग समय भावना करे की अमुक जीव मृत्युपाश से छुटकर आयोग्य लाभ प्राप्प्त कर रहा है|
विनयोगः- अस्य श्रीमृत्यु देवता मंत्रस्य नारायण ऋषिः, उष्णिक छन्दः, मृत्युदेवता डं बीजं ह्रैं शक्ति अमुकजीव मृत्युपाशात विमुञ्चन द्वारा तथा वराभय प्राप्ति द्वारा आयु आरोग्य प्राप्ति हेतवे मृत्यु देवत प्रसन्नार्थे जपे विनयोगः|
मंत्र - ॐ नमो भगवते मृत्यवे सर्वजीवहरण कारणाय उग्राय दण्ड हस्ताय डं ह्रैं अमुक जीव मृत्युपाशात मुच्चय सर्वलोक भयङ्कराये वराभय प्रदय प्रदय सर्वारिष्ट नाशय आरोग्य कुरु कुरु ह्रैं ह्रूं फट स्वाहा|
न्यास- डां, डीं, डूं, डें, डौं, डः से क्रमषः अंगन्यास करें।
ध्यानम-
रक्तास्यं भीमदंष्ट्र प्रकटित वदनं वक्रनासं कराब्जैः।
षूलं पाषं कपालं फणिमुसल हलं वज्र खेटं वहन्तम्।।
भीमकालाभ्रनीलं भुकुटित नयनं सैरिभ स्कन्धरूढम्।
नानाभूतैः करालैः परिवृतमखिलं प्राणिकालं भजामि।।
इदं काल मंत्रं निषामध्ये प्रातः पुनः जप्त्वा जपेत् ततो मंत्रं सहस्त्रनाम पूर्वकं तज्जपस्या वषाने तु स रिपुर्मरणं लभेत्।
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