आकाशभैरवकल्प के अनुसार जगत की रक्षा के लिए महेश्व र ने अपने आप को तीन स्वरूप मे विभक्त किया जो क्रमश: १ )आकाश भैरव २) आसुगरुड ३ )शरभ थे | इन्ही तीनो स्वरुपो को तन्त्र शास्त्र में शालुव , पक्षीराज और शरभ के नाम से वर्णित किया गया है | आकाशभैरव छिप्र प्रसन्न होने वाले देवता है जो अपने उपासको की सैदव रक्षा करते है, नेपालदेश आज भी उपासना का प्रचलन है नेपालदेश मै किम्वदंती है कि आकाशभैरव नेपाल के पहले राजवंश के प्रथम राजा यलाम्बर है जो की महाभरत युद्ध मे श्रीकृष्ण के छ्ल से युद्धपूर्व ही तह किये गए थे | श्रीकृष्ण के द्वारा रण भूमि की पूजा हेतु क़िसी महावीरयोद्धा की बलि मांगी जिसमे यलाम्बर ने आपने शिर रणांगण की पूजा समर्पित किया यलाम्बर के आत्मबलिदान से प्रसन्न श्रीकृष्ण ने उनके शिरभाग की आकाशभैरव मे प्रतिष्ठा की तथा अपने देश मे विशेष रूप से पूिजत होने का वर कदया । श्रीअकाशभैरव की िवशद ईपासना का विशन अकाशभैरवकल्प में हैं ।
साधक शुद्ध दो रक्तवस्त्र ( रक्तधोती तथा रक्त ईत्तरीय पहनकर ) रक्त कम्बल या कुश या ऄन्य प्रकार के शास्त्र विहत असान पर बैठे ।
ॐ हीं आधार शक्ति कमलासनायनमः || कहकर आसान का पूजन करे |
ॐ आकाशभैरवाय नमः || इस मंत्र से भस्म के त्रिपुण्ड्र सर कण्ठ ह्रदय दोनों बाहुओ और नाभि पे धारण करे |
ॐ आकाशभैरवाय नमः || इस मंत्र से रुद्राक्ष की माला वा एक रुद्राक्ष या एक से ज्यादा रुद्राक्ष धारण करे |
ॐ आकाशभैरवाय नमः || कहकर तीन बार आचमन करे |
ॐ आकाशभैरवाय नमः || कहकर तीन बार प्राणायाम करे ||
ॐ आकाशभैरवाय नमः || कहकर भैरव पवित्र वा स्मार्त पवित्र वा सोने /चांदी /ताम्बे की अंगूठी (बिना नग वाली )धारण करे |
तदनन्तर श्री आकाशभैरव की पूजा का सकल्प करे |
निम्न मन्त्र के द्वारा श्री आकाशभैरव का ध्यान करे :-
सहस्त्र पाणि पद्वक्तम सहस्रत्रयलोचनं |
सर्वाभीष्टप्रदं देवम ध्यायेदाकाशभैरवम ||
निम्न मन्त्र से श्री आकाशभैरव का आवाहन करे | (अगर प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित हो तो यहाँ पुष्पांजलि देवे )|
ॐ शूलहस्ताय नमः आवाहयामि ||
पाशर्व भागों मे आकाश भद्रकाली तथा भीमसेन का भी आवाहन करे |
ॐ आकाशभद्र्कालयै नमः आवाहयामि ||
ॐ भीमसैनै नमः आवाहयामि ||
निम्न मन्त्र से रक्तपुष्पवा दर्भ का आसन समर्पित करे :-
ॐ नीलरूपाय नमः आसनं समर्पयामि |
निम्न मन्त्र से श्री आकाशभैरव के चरणो पर पाघ समर्पित करे |
ॐ उधर्वकेशाय नमः पादयोः पाघं समर्पयामि ||
निम्न मंत्र श्री आकाशभैरव के शिरभाग पर अघर्य समर्पित करे |
ॐ आपदुद्धारणाय नमः अघर्य समर्पयामि |
निम्न मंत्र से श्री आकाशभैरव के मुख मे आचमनीय जल समर्पित करे |
ॐ निशिनाथाय नमः आचमनीयं समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से श्री आकाशभैरव को जलस्नान करावे |
ॐ नगररूपाय नमःस्नानं समर्पयाम||
निम्न मंत्र से आचमनीय जल समर्पित करे ||
ॐ कपालहस्ताय नमः स्नानांतरम आचमनीयं समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से दो रक्त वस्त्र वा दो रक्त सूत्र रक्तक्षत श्री आकाशभैरव को समर्पित करे |
ॐ सर्पभूषणाय नमः वस्त्रं समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से गन्ध (रक्त चन्दन ) समर्पित करे |
ॐ वहिननेत्राय नमः गन्धान धारयामि ||
निम्न मंत्र सेअक्छता समर्पित करे |
ॐ चन्द्रार्द्धधारिणे नमः गंधस्योपरि अक्षतान समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से रक्तपुष्प समर्पित करे |
ॐ शान्ताय नमः पुष्पं समर्पयामि |
पाश्रर्वभागभाग मे आकाश भद्रकाली तथा भीमसेन की भी गन्धा छत से पूजा करे |
आकाशभद्र्कालयै नमः गन्धा छत पुष्पाणा समर्पयामि नमः |\ ॐ भीमसेनाय नमः गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमः ||
(अष्टोत्तरशत वा अष्टोत्तर सहस्र नामार्चनं कृत्वा )यहाँ पर समयानुसार अष्टोत्तरशतनाम या सहस्त्रनाम से पूजा करे |
निम्न मंत्र से धुप (धृत +गुग्गुलु समर्पित करे |
ॐ भूतनाथाय नमः धूपं आघ्रपयामि |
निम्न मंत्र से कपिलाघ्रत | महिषीघ्रत या कटु तैल का दीप समर्पित करे |
ॐ भीमाय नमः दीपानदर्शयामि ||
निम्न मंत्र से यथा शक्ति सात्विकनैवेध समर्पित करे ||
ॐ त्रैलोक्यरक्षकाय नमः नैवेध समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से नैवेधानंतर जल समर्पित करे ||
अनादिभूताय नमः नैवेधानंतरम आचमनीयं समर्पयामि |
निम्न मंत्र से ताम्बूल (पान का बीड़ा ) समर्पित करे |
ॐ नीलकंठस्वरूपाय नमः ताम्बूलं निवेदयामि | निम्न मंत्र से दस\दछिणा (हिरण्य \रजत \ताम्र )समर्पित करे |
ॐ आकाशभैरवाय नमः दछिणा समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से यथा लब्ध नमः ऋतुफल समर्पितयमि
निम्न मनता से श्री आकाशभैरव की आरती करे |
ॐ श्री आकाशभैरवाय नमः नीराजनं समर्पयामि |
निम्न मंत्र से पुष्पांजलि दै |
ॐ श्री आकाशभैरवाय नमः मंत्र पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि ||
निम्न मंत्र से श्री आकाशभैरव की प्रदक्षिणा करे |
ॐ आकाशभैरवाय नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि |
निम्न मंत्र से श्री आकाशभैरव को नमस्कार करे |
ॐ श्री आकाशभैरवाय नमः नमस्कारान समर्पयामि ||
पूजा की बची हुई सामग्री निर्माल्य देवता को समर्पित करे
ॐ उच्छिष्टभैरवाये नमः
निम्न मंत्र से छमाप्रार्थना करे
ॐ आकाशभैरवाय नमः छमस्व छमस्व उद्धरणी से जल लेकर श्री आकाशभैरव के दाहिने हाथ मे पूजा फल का समर्पण करे
ॐ तत्सत श्री आकाशभैरवर्पणमस्तु |
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