श्री गणेशाय नमः |
अस्य श्री नृसिंहमाला मन्त्रस्य नारदभगवान् ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्री नृसिंहोदेवता, आं बीजम्, लं शक्तिः, मेरु कीलकम्, श्रीनृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः |
ॐ नमो नृसिंहाय ज्वलामुखग्निनेत्रय शङ्खचक्रगदाप्र्हस्ताय | योगरूपाय हिरण्यकशिपुच्छेदनान्त्रमालाविभुषणाय हन हन दह दह वच वच रक्ष वो नृसिंहाय पुर्वदिषां बन्ध बन्ध रौद्रभसिंहाय दक्षिणदिशां बन्ध बन्ध पावननृसिंहाय पश्चिमदिशां बन्ध बन्ध दारुणनृसिंहाय उत्तरदिशां बन्ध बन्ध
ज्वालानृसिंहाय आकाशदिशां बन्ध बन्ध लक्ष्मीनृसिंहाय पातालदिशां बन्ध बन्ध
कः कः कंपय कंपय आवेशय आवेशय अवतारय अवतारय शीघ्रं शीघ्रं | ॐ नमो नारसिंहाय
नवकोटिदेवग्रहोच्चाटनाय | ॐ
नमो नारसिंहाय अष्टकोटिगन्धर्व ग्रहोच्चाटनाय | ॐ
नमो नारसिंहाय षट्कोटिशाकिनीग्रहोच्चाटनाय | ॐ
नमो नारसिंहाय पंचकोटि पन्नगग्रहोच्चाटनाय | ॐ
नमो नारसिंहाय चतुष्कोटि ब्रह्मराक्षसग्रहोच्चाटनाय | ॐ नमो नारसिंहाय
द्विकोटिदनुजग्रहोच्चाटनाय | ॐ
नमो नारसिंहाय कोटिग्रहोच्चाटनाय| ॐ
नमो नारसिंहाय अरिमूरीचोरराक्षसजितिः वारं वारं | श्रीभय
चोरभय व्याधिभय सकल भयकण्टकान् विध्वंसय विध्वंसय
| शरणागत
वज्रपंजराय विश्वहृदयाय प्रल्हादवरदाय क्षरौं श्रीं नृसिंहाय स्वाहा | ॐ नमो नारसिंहाय मुद्गल शङ्खचक्र
गदापद्महस्ताय नीलप्रभांगवर्णाय भीमाय भीषणाय ज्वाला करालभयभाषित श्री
नृसिंहहिरण्यकश्यपवक्षस्थलविदार्णाय | जय
जय एहि एहि भगवन् भवन गरुडध्वज गरुडध्वज मम सर्वोपद्रवं वज्रदेहेन चूर्णय चूर्णय
आपत्समुद्रं शोषय शोषय | असुरगन्धर्वयक्षब्रह्मराक्षस
भूतप्रेत पिशाचदिन विध्वन्सय् विध्वन्सय् | पूर्वाखिलं
मूलय मूलय | प्रतिच्छां
स्तम्भय परमन्त्रपयन्त्र परतन्त्र परकष्टं छिन्धि छिन्धि भिन्धि हं फट् स्वाहा |
|| श्री
नृसिम्हार्पणमस्तु ||